OPS Latest News : देशभर में सरकारी कर्मचारी लंबे समय से पुरानी पेंशन योजना (OPS) को बहाल करने की मांग कर रहे हैं इस मुद्दे पर संघर्ष जारी है, और हाल ही में कर्मचारियों ने नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को ज्ञापन सौंपकर अपनी मांगें प्रस्तुत की हैं सरकारी कर्मचारी चाहते हैं कि नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) को समाप्त कर पुरानी पेंशन योजना को दोबारा लागू किया जाए उनके अनुसार, यह उनकी सेवानिवृत्ति के बाद की आर्थिक सुरक्षा के लिए आवश्यक है।
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पुरानी पेंशन योजना (OPS) के लाभ
OPS को फिर से लागू करने की मांग इसलिए भी उठ रही है क्योंकि यह योजना सरकारी कर्मचारियों को आजीवन वित्तीय सुरक्षा प्रदान करती थी।
✅ निश्चित पेंशन – सेवानिवृत्त होने के बाद अंतिम वेतन का 50% पेंशन के रूप में मिलता है।
✅ योगदान की जरूरत नहीं – कर्मचारियों को अपनी सैलरी से कोई कटौती नहीं करनी पड़ती, पूरी राशि सरकार देती है।
✅ महंगाई से सुरक्षा – समय-समय पर महंगाई भत्ते (DA) के अनुसार पेंशन में वृद्धि होती है।
✅ पारिवारिक पेंशन – कर्मचारी की मृत्यु के बाद उसके परिवार को पेंशन मिलती है, जिससे उनके आश्रितों को आर्थिक सहायता मिलती है।
नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) क्या है?
2004 से केंद्र सरकार ने OPS को समाप्त कर NPS लागू किया इस नई प्रणाली में कर्मचारियों को अपने वेतन का 10% पेंशन फंड में योगदान करना पड़ता है, और सरकार भी इसमें अपना हिस्सा जोड़ती है।
▶ निवेश आधारित प्रणाली – NPS के तहत पेंशन राशि शेयर बाजार और अन्य निवेशों पर निर्भर करती है।
▶ अनिश्चित पेंशन – सेवानिवृत्ति के बाद मिलने वाली पेंशन राशि तय नहीं होती, बल्कि बाजार के प्रदर्शन पर निर्भर करती है।
▶ योगदान अनिवार्य – कर्मचारियों को अपने वेतन से कटौती करके पेंशन फंड में निवेश करना पड़ता है।
सरकारी कर्मचारी NPS को लेकर चिंतित हैं क्योंकि यह OPS जैसी निश्चित सुरक्षा प्रदान नहीं करता।
कर्मचारियों की मुख्य चिंताएँ
🔹 NPS में पेंशन की गारंटी नहीं – यह बाजार की स्थिति पर निर्भर करता है, जिससे रिटायरमेंट के बाद पेंशन की राशि अस्थिर हो सकती है।
🔹 महंगाई से सुरक्षा नहीं – NPS में DA वृद्धि का प्रावधान नहीं है, जिससे महंगाई बढ़ने पर पेंशनधारकों को नुकसान हो सकता है।
🔹 पारिवारिक पेंशन की अनिश्चितता – OPS में पारिवारिक पेंशन सुनिश्चित थी, लेकिन NPS में यह स्पष्ट नहीं है।
🔹 वेतन कटौती का बोझ – OPS में कोई योगदान नहीं देना पड़ता था, जबकि NPS में कर्मचारियों की सैलरी से कटौती होती है।
OPS पर राजनीतिक बहस तेज
पुरानी पेंशन योजना की बहाली का मुद्दा राजनीतिक रूप से गर्मा गया है।
✅ कुछ राज्य सरकारें OPS बहाल कर चुकी हैं, जबकि केंद्र सरकार अभी तक इस पर कोई स्पष्ट फैसला नहीं ले पाई है।
✅ राजनीतिक दल OPS को चुनावी मुद्दा बना रहे हैं, कुछ समर्थन में हैं, तो कुछ इसे वित्तीय रूप से अस्थिर मानते हैं।
इस बीच, सरकारी कर्मचारी लगातार आंदोलन कर रहे हैं और अपनी मांगों को उठाने के लिए विभिन्न मंचों का सहारा ले रहे हैं।
यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS): नया प्रस्ताव
हाल ही में, सरकार ने यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) की घोषणा की, जिसे OPS और NPS के बीच संतुलन बनाने वाला विकल्प बताया जा रहा है।
✔ UPS में कर्मचारियों को अपने वेतन का 10% योगदान देना होगा, जबकि सरकार 18.5% योगदान करेगी।
✔ पेंशन की गणना आखिरी 12 महीनों के औसत वेतन के आधार पर की जाएगी।
हालांकि, कर्मचारी संगठन अभी भी UPS को स्वीकार नहीं कर रहे और OPS की पूर्ण बहाली की मांग कर रहे हैं।
आगे क्या होगा?
सरकारी कर्मचारियों की मांगें तेज हो रही हैं, और सरकार पर दबाव बढ़ता जा रहा है यूनिफाइड पेंशन स्कीम की घोषणा के बावजूद कर्मचारी इसे पर्याप्त समाधान नहीं मान रहे।
▶ क्या केंद्र सरकार OPS बहाल करेगी?
▶ या UPS ही OPS का विकल्प बनेगा?
अगले कुछ महीनों में इस मुद्दे पर सरकार का रुख तय करेगा कि क्या पुरानी पेंशन योजना फिर से लागू होगी या नहीं कर्मचारियों के लिए यह मामला आर्थिक सुरक्षा और भविष्य की स्थिरता से जुड़ा है, इसलिए यह बहस निकट भविष्य में और तेज होने वाली है।